मजबूरिया हर इंसान को जीना सीखा देती हैं,
किसी को दर्द देती हैं तो किसी को नशा देती हैं
जब इंशान अंदर से टूट हटा है तो ,
अक्सर बाहर से ख़ामोश नज़र आता हैं
मत उड़ा परिंदो को हवा में ऐ दोस्त,
कभी कभी लौट कर आना बोहोत मुश्किल होता है
मैं मतलबी नहीं जो साथ रहने वालों को धोका देदूँ ,
बस मुझे समझना हर किसी के बस की बात नहीं हैं
बोहोत बेगाना कर दिया है तेरी याद ने मुझे,
कहीं ऐसा न कि मैं पागल हो जाऊ
जो भी आता है नई चोट दे जाता है ,
माना मज़बूत हूँ लेकिन पत्थर तो नहीं
अब मेरे आँगन में फूल नहीं खिलते,
तेरे जाने के बाद पौधों का ख्याल कौन रखता
काश तुम लौट आओ और गले लगाकर कहो ,
की खुश तो मैं भी नहीं हूँ तुम्हारे बिना
ज़िन्दगी बस इतना सा वादा कर मुझसे,
उसके बाद तुझे मेरा साथ देना होगा
तुम क्या जानो हाल हमारा ,
एक तो बातें बंद ऊपर से ख़्याल तुम्हारा
अक्सर मैं सोचता हूँ ,
कि क्या हमारी कहानी में किसी को किरदार मिलेगा
अक्सर मैं सोचता हूँ ,
कि क्या हमारी कहानी में किसी को किरदार मिलेगा
एक कॉल के इंतज़ार में बैठे है किसी ने कहा था ,
वक्त मिलेगा तो कॉल ज़रूर करेंगे हम
मेरी तक़दीर बनाने के लिए वो आये थे,
रुख़्सत हुए तो और भी तबाह कर दिया…!
ये तो बता दो की तुने ये ,
झूठी क़समें और झूठे वादे करने कहा से सीखा है
यहाँ मै खुद को खोजता हूँ दर बदर होकर,
चिराग लेके भी निकलू तो अँधेरा बोहोत है
क़सूर तो बहुत किए है ज़िंदगी में ,
पर सजा वहाँ मिली जहां हम बेक़सूर थे
उनसे उम्मीद भी क्यूकर लगाये बैठा है दिल,
जो बात तक भी न करने की अदा रखते हैं
इंसान सब कुछ भूल सकता है सिवाय उन पालो के,
जब उसे अपनों की ज़रूरत थीऔर तब वो साथ नहीं थे
चले गए हैं जो अब उनको याद क्या करना,
वो अपने होते तो शायद कभी नहीं जाते
सुना था दर्द का अहसास तो चाहने वालों को होता है ,
जब दर्द ही चाहने वाले दें तो एहसास कौन करेगा
हमसे जो मोहब्बत सीखी थी उसने,
न जाने अब किसपर लुटा रहे हैं
ऐ जिंदगी मुझे बार-बार रुलाया ना कर ,
मुझे चुप कराने वाला कोई नहीं है
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